भारत और अमेरिका टैरिफ वॉर

अमेरिका-भारत टैरिफ युद्ध: क्यों हो रहा है यह टकराव?

​हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव देखने को मिला है। यह तनाव मुख्य रूप से टैरिफ वॉर या टैरिफ युद्ध के रूप में सामने आया है, जहां दोनों देश एक-दूसरे के आयातित सामानों पर शुल्क बढ़ा रहे हैं। लेकिन यह सब शुरू क्यों हुआ और इसका दोनों देशों पर क्या असर पड़ रहा है? आइए जानते हैं।

​टैरिफ वॉर की शुरुआत

​इसकी जड़ें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में हैं, जिन्होंने "अमेरिका फर्स्ट" की नीति अपनाई थी। इसके तहत, उन्होंने चीन, यूरोप और भारत समेत कई देशों पर स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया था। उनका तर्क था कि ये देश अमेरिका के साथ व्यापार में अनुचित व्यवहार कर रहे हैं।

​इसके जवाब में, भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया। इनमें बादाम, अखरोट, और सेब जैसे उत्पाद शामिल थे। भारत का कहना था कि वह अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा कर रहा है।

​हाल के घटनाक्रम और मुख्य कारण

​हाल ही में, टैरिफ युद्ध में फिर से तेजी आई है। इसके पीछे कुछ मुख्य कारण हैं:

  • जनरल सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) का हटना: अमेरिका ने भारत को मिलने वाला GSP का दर्जा खत्म कर दिया। इस दर्जे के तहत भारत कुछ उत्पादों को बिना किसी शुल्क के अमेरिका में निर्यात कर सकता था। यह भारत के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि इससे उसके कई उत्पादों की लागत बढ़ गई।
  • रूस से तेल खरीदना: अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से कम कीमतों पर तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस का समर्थन कर रहा है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए यह कर रहा है और यह पूरी तरह से कानूनी है।
  • कृषि और डेयरी उत्पाद: दोनों देशों के बीच कृषि और डेयरी उत्पादों पर भी मतभेद हैं। अमेरिका चाहता है कि भारत इन क्षेत्रों में अपने बाजार खोले, जबकि भारत अपने किसानों की रक्षा करना चाहता है।

​इसका भारत पर क्या असर होगा?

​इस टैरिफ युद्ध का भारत की अर्थव्यवस्था पर मिश्रित प्रभाव पड़ सकता है:

  1. निर्यात पर असर: भारत के कुछ प्रमुख निर्यात क्षेत्र, जैसे कि कपड़ा, रत्न, और गहने, प्रभावित हो सकते हैं। इन पर अतिरिक्त शुल्क लगने से इनकी अमेरिकी बाजारों में मांग घट सकती है।
  2. घरेलू उद्योगों को बढ़ावा: कुछ मामलों में, यह टैरिफ भारतीय घरेलू उद्योगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि अमेरिकी उत्पादों के महंगे होने पर लोग भारतीय उत्पादों को पसंद कर सकते हैं।
  3. जवाबी कदम: भारत भी जवाबी टैरिफ लगा सकता है, जिससे अमेरिका से आयातित कुछ सामान महंगे हो जाएंगे।

​क्या है आगे का रास्ता?

​भारत और अमेरिका दोनों ही एक-दूसरे के महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार हैं। जहां एक ओर व्यापारिक तनाव है, वहीं दूसरी ओर रक्षा और रणनीतिक साझेदारी में दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। इस टैरिफ युद्ध का स्थायी समाधान कूटनीति और बातचीत के माध्यम से ही संभव है। दोनों देशों को एक-दूसरे की चिंताओं को समझते हुए ऐसे रास्ते तलाशने होंगे, जो दोनों के लिए फायदेमंद हों।

​यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में दोनों देश इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं। क्या वे व्यापारिक मतभेदों को सुलझा पाएंगे, या यह तनाव और बढ़ेगा?

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