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एससीओ(SCO): एक नया युग की शुरुआतकी मोदी ने

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एससीओ शिखर सम्मेलन 2025: मोदी, जिनपिंग और पुतिन की मुलाकात - एक नया अध्याय ​शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 2025 शिखर सम्मेलन चीन के तियानजिन शहर में संपन्न हुआ, और यह कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। इस सम्मेलन का केंद्र बिंदु भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात रही। दुनिया की तीन सबसे बड़ी शक्तियों के नेताओं की यह मुलाकात न सिर्फ कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी रही, बल्कि इसने वैश्विक भू-राजनीति में एक नए समीकरण की तरफ भी इशारा किया। ​ घुलती दूरियां, बढ़ती नजदीकियां ​इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत से ही मोदी , जिनपिंग और पुतिन के बीच गर्मजोशी दिखी। वर्षों के तनाव के बाद, खासकर भारत-चीन सीमा विवाद के बाद, पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात को विशेष रूप से देखा गया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय बातचीत की, जिसमें सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर जोर दिया गया। विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा कि सीमा पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के लिए 'बीमा पॉलिसी'...

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

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SCO सम्मेलन: एक परिचय शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक यूरेशियन राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को चीन के शंघाई में हुई थी। यह संगठन मूल रूप से चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान द्वारा स्थापित किया गया था। बाद में भारत और पाकिस्तान भी इसके सदस्य बने, जिससे इसका प्रभाव और भी बढ़ गया। एससीओ का मुख्य उद्देश्य इस संगठन का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। इसके अलावा, यह आतंकवाद, अलगाववाद और अतिवाद जैसी तीन बुराइयों से निपटने के लिए भी काम करता है। शिखर सम्मेलन का महत्व एससीओ का शिखर सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाता है, जहाँ सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार के प्रमुख मिलते हैं। यह बैठकें महत्वपूर्ण होती हैं क्योंकि इनमें ये नेता आपसी संबंधों पर चर्चा करते हैं, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर साझा रुख अपनाते हैं, और भविष्य की रणनीतियों पर काम करते हैं। इस मंच पर भारत के लिए यह खास महत्व रखता है। यह भारत को चीन और रूस जैसे बड़े देशों के सा...

भारत और अमेरिका टैरिफ वॉर

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अमेरिका-भारत टैरिफ युद्ध: क्यों हो रहा है यह टकराव? ​हाल के दिनों में भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव देखने को मिला है। यह तनाव मुख्य रूप से टैरिफ वॉर या टैरिफ युद्ध के रूप में सामने आया है, जहां दोनों देश एक-दूसरे के आयातित सामानों पर शुल्क बढ़ा रहे हैं। लेकिन यह सब शुरू क्यों हुआ और इसका दोनों देशों पर क्या असर पड़ रहा है? आइए जानते हैं। ​टैरिफ वॉर की शुरुआत ​इसकी जड़ें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में हैं, जिन्होंने "अमेरिका फर्स्ट" की नीति अपनाई थी। इसके तहत, उन्होंने चीन, यूरोप और भारत समेत कई देशों पर स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया था। उनका तर्क था कि ये देश अमेरिका के साथ व्यापार में अनुचित व्यवहार कर रहे हैं। ​इसके जवाब में, भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाया। इनमें बादाम, अखरोट, और सेब जैसे उत्पाद शामिल थे। भारत का कहना था कि वह अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा कर रहा है। ​हाल के घटनाक्रम और मुख्य कारण ​हाल ही में, टैरिफ युद्ध में फिर से तेजी ...

भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध

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​भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध: चुनौतियाँ और भविष्य की राह ​भारत और चीन, दुनिया की दो सबसे बड़ी और तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाएँ हैं। इनके बीच व्यापारिक रिश्ते सदियों पुराने हैं, लेकिन आधुनिक समय में ये रिश्ते काफी जटिल हो गए हैं। जहाँ एक ओर दोनों देशों के बीच व्यापार का रिकॉर्ड स्तर तक विस्तार हुआ है, वहीं दूसरी ओर व्यापार घाटा (trade deficit) भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। ​व्यापार घाटा: एक गंभीर चुनौती ​ व्यापार घाटा तब होता है जब कोई देश निर्यात से ज़्यादा आयात करता है। भारत के मामले में, चीन से आयात होने वाली वस्तुओं का मूल्य भारत से चीन को होने वाले निर्यात के मुकाबले कहीं ज़्यादा है। 2024-25 में, यह व्यापार घाटा लगभग 99.21 अरब डॉलर तक पहुँच गया, जो भारत के लिए एक बड़ा आर्थिक असंतुलन दर्शाता है। ​चीन से भारत मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक सामान, मशीनरी, रासायनिक उत्पाद, और विभिन्न औद्योगिक उपकरण आयात करता है। वहीं, भारत से चीन को मुख्य रूप से कच्चा माल जैसे लौह अयस्क, समुद्री उत्पाद, और कपास निर्यात होता है। तैयार माल बेचने से ज़्यादा लाभ होता है, जबकि क...

मोदी का गुजरात दौरा

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 प्रधानमंत्री मोदी का दो दिवसीय गुजरात दौरा: ₹5400 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का तोहफा    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 और 26 अगस्त को अपने गृह राज्य गुजरात के दो दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरे का मुख्य उद्देश्य राज्य के बुनियादी ढांचे और विकास को बढ़ावा देना है। वह अहमदाबाद, गांधीनगर और मेहसाणा में ₹5,400 करोड़ से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे।   मुख्य कार्यक्रम और परियोजनाएं: रोड शो और जनसभा: प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में एक भव्य रोड शो के साथ अपने दौरे की शुरुआत की, जहां सड़कों के दोनों ओर हजारों लोग उनके स्वागत के लिए मौजूद थे। इसके बाद वह खोडलधाम मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे।   परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन: रेलवे: प्रधानमंत्री ₹1,400 करोड़ से अधिक की रेलवे परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। इनमें 65 किलोमीटर लंबी महेसाणा-पालनपुर रेल लाइन का दोहरीकरण, कटोसन रोड-साबरमती के बीच एक नई यात्री ट्रेन को हरी झंडी दिखाना और बेचराजी से एक मालगाड़ी सेवा का शुभारंभ शामिल है।   सड़क और श...

Janwar e zindagi