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क्या आप जानते हैं आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी (AI) के बारे में?

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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस: क्या हम भविष्य में जी रहे हैं? क्या आपने कभी सोचा है कि आज से कुछ साल पहले जो चीज़ें सिर्फ साइंस-फिक्शन फिल्मों में दिखती थीं, वो अब हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं? स्मार्टफोन में पर्सनल असिस्टेंट, जो आपकी आवाज़ से काम करता है, या फिर सोशल मीडिया पर दिखने वाली वो चीज़ें, जो आपको पसंद आ सकती हैं। ये सब कुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का कमाल है। आज, AI सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि एक ऐसा साथी बन गया है जो हमें मुश्किल कामों को आसान बनाने में मदद करता है। आइए जानते हैं कि AI हमारी दुनिया को कैसे बदल रहा है। ​ एआई में इस्तेमाल होने वाली मुख्य टेक्नोलॉजी ​एआई कोई एक अकेली टेक्नोलॉजी नहीं है, बल्कि यह कई तकनीकों का एक समूह है। यहाँ कुछ सबसे महत्वपूर्ण तकनीकें दी गई हैं: ​ मशीन लर्निंग (Machine Learning - ML): यह एआई का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें कंप्यूटर को डेटा से सीखने के लिए प्रोग्राम किया जाता है। कंप्यूटर को कोई ख़ास काम करने के लिए सीधे निर्देश देने की बजाय, उसे बहुत सारा डेटा दिया जाता है और वह अपने आप पैटर्न पहचानना सीखत...

PM सूर्या घर मुफ़्त बिजली योजना

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प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना: राजस्थान में ऊर्जा की नई क्रांति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को PM सूर्योदय योजना की घोषणा की थी, जिसका लक्ष्य गरीब और मध्यम वर्ग के 1 करोड़ घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना और बिजली के बिल को कम करना है। PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना क्या है? यह योजना भारत सरकार की एक पहल है, जिसका उद्देश्य देश के 1 करोड़ परिवारों को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत, सरकार लोगों को उनके घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए सब्सिडी देगी। इस योजना के तीन मुख्य लक्ष्य हैं: गरीब और मध्यम वर्ग के लिए बिजली बिल में कमी: सोलर पैनल लगाने से बिजली का बिल काफी कम हो जाएगा, जिससे लोगों को आर्थिक राहत मिलेगी। भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना: स्वच्छ ऊर्जा (solar energy) के उपयोग से देश की पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी। रोजगार के नए अवसर पैदा करना: सोलर पैनल लगाने, रखरखाव और निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा होंगे। भारत में ऊर्जा की सम...

कौन है नेपाल की नई पीएम: सुशीला कार्की

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नेपाल की पहली महिला प्रधानमंत्री: सुशीला कार्की ​नेपाल की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। देश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता के बाद, नेपाल को अपनी पहली महिला प्रधानमंत्री मिली हैं - सुशीला कार्की । ​पूर्व मुख्य न्यायाधीश रह चुकी सुशीला कार्की को देश का अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। यह फैसला कई दिनों की उथल-पुथल के बाद आया, जब युवाओं के नेतृत्व में हुए Gen-Z आंदोलन के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। ​कौन हैं सुशीला कार्की? ​सुशीला कार्की का नाम नेपाल के न्यायिक इतिहास में बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है। वह न केवल सुप्रीम कोर्ट की पूर्व मुख्य न्यायाधीश रही हैं, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने सख्त रुख के लिए भी जानी जाती हैं। उन्होंने 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर इतिहास रचा था। उनका राजनीतिक अनुभव भले ही कम हो, लेकिन उनकी बेदाग छवि और न्याय के प्रति उनका समर्पण ही उन्हें इस मुश्किल समय में देश की बागडोर संभालने के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है। सुशीला कार्की का ...

#NepalGenZ: एक नई पीढ़ी, एक नई जंग

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नेपाल में Gen Z क्रांति: जब युवाओं ने लिखी बदलाव की कहानी ​आज की दुनिया में Gen Z सिर्फ एक पीढ़ी नहीं, बल्कि एक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है। ये वो युवा हैं जो इंटरनेट, स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के साथ बड़े हुए हैं। इन्हें "डिजिटल नेटिव" भी कहा जाता है। दुनिया भर में, ये युवा अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रहे हैं, सामाजिक मुद्दों पर बात कर रहे हैं और पारंपरिक सोच को चुनौती दे रहे हैं। नेपाल में भी, इस पीढ़ी ने अपनी ताकत का एहसास करवाया है और देश की राजनीति और समाज में एक नई लहर लाई है। ​Gen Z कौन हैं? ​Gen Z, या "जनरेशन ज़ेड", उन लोगों को कहा जाता है जिनका जन्म 1997 से 2012 के बीच हुआ है। नेपाल में इस पीढ़ी ने बहुत कुछ देखा है। 2006 में राजशाही का अंत, 2015 का विनाशकारी भूकंप और उसके बाद राजनीतिक अस्थिरता। ये ऐसे युवा हैं जो पुरानी पीढ़ियों की तरह चुपचाप सहन करने के बजाय सवाल पूछते हैं और जवाब चाहते हैं। ​नेपाल की Gen Z ने क्या किया? ​हाल ही में, नेपाल की Gen Z ने देश को दिखाया कि वे अब निष्क्रिय दर्शक नहीं रहेंगे। उन्होंने अपनी आवाज को सोशल मीडिया से...

क्यों हुआ नेपाल मैं विद्रोह......

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नेपाल में विद्रोह: एक ऐतिहासिक यात्रा ​नेपाल, हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा देश, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। लेकिन इस देश का इतिहास सिर्फ पहाड़ों और मंदिरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह राजनीतिक उथल-पुथल और विद्रोहों से भी भरा हुआ है। इन विद्रोहों ने नेपाल की राजनीतिक और सामाजिक संरचना को गहराई से बदला है। ​राणा शासन का अंत ​नेपाल में विद्रोह की कहानी की शुरुआत 20वीं सदी के मध्य में होती है। उस समय नेपाल पर राणा परिवार का शासन था, जो 104 सालों से चला आ रहा था। यह शासन वंशानुगत और निरंकुश था। लोग इस शासन से परेशान थे। 1950 में, नेपाली कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में एक सशस्त्र विद्रोह शुरू हुआ। इस विद्रोह को राजा त्रिभुवन का भी समर्थन मिला, जो राणाओं के नियंत्रण से मुक्ति चाहते थे। भारत के समर्थन और लोगों के भारी विरोध के कारण, 1951 में राणा शासन का अंत हुआ और नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई। ​माओवादी विद्रोह: एक लंबा संघर्ष ​नेपाल के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे लंबा विद्रोह माओवादी विद्रोह था, जो 1996 में शुरू हुआ। नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (मा...

एशिया कप 2025

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​2025 एशिया कप: भारत का दबदबा और रोमांचक फॉर्मेट ​एशिया कप 2025 का रोमांच शुरू हो चुका है और इस बार यह टूर्नामेंट और भी खास है क्योंकि इसे टी20 फॉर्मेट में खेला जा रहा है। यह आगामी टी20 विश्व कप 2026 से पहले टीमों के लिए एक महत्वपूर्ण अभ्यास का मौका है। भारत, जो मौजूदा चैंपियन है, इस बार भी प्रबल दावेदार के रूप में उभरा है। आइए, इस साल के टूर्नामेंट के फॉर्मेट, भारतीय टीम और आयोजन स्थलों पर एक नज़र डालते हैं। ​टूर्नामेंट फॉर्मेट और आयोजन स्थल ​इस साल के एशिया कप में कुल 8 टीमें हिस्सा ले रही हैं, जिन्हें दो ग्रुप में बांटा गया है: ​ ग्रुप A: भारत, पाकिस्तान, यूएई और ओमान ​ ग्रुप B: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और हांगकांग ​टूर्नामेंट के मैच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के तीन प्रमुख शहरों में खेले जा रहे हैं: ​ दुबई ​ शारजाह ​ अबू धाबी ​टूर्नामेंट का फॉर्मेट इस प्रकार है: ​ ग्रुप स्टेज: प्रत्येक टीम अपने ग्रुप की बाकी टीमों के साथ एक-एक मैच खेलेगी। ​ सुपर 4: दोनों ग्रुप से टॉप-2 टीमें सुपर 4 राउंड के लिए क्वालीफाई करेंगी। ​ फाइनल: सुपर 4 में टॉप ...

क्या बिहार चुनाव 2025 है मोदी की अग्नि परीक्षा

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बिहार चुनाव: एक निर्णायक मुकाबला ​बिहार का राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर एक अहम मोड़ पर है। जैसे-जैसे राज्य चुनावों के लिए तैयार हो रहा है, चुनावी माहौल में जोश, वादे और राजनीतिक दांव-पेंच साफ देखे जा सकते हैं। बिहार के चुनाव सिर्फ एक राज्य तक सीमित नहीं होते; इनका राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा असर पड़ता है और इन्हें अक्सर देश के मिजाज का बैरोमीटर माना जाता है। ​मुख्य दावेदार ​इस चुनाव में पुराने दिग्गजों के बीच नई रणनीतियों के साथ मुकाबला देखने को मिल रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री और उनके गठबंधन को विपक्षी खेमे से एक मजबूत चुनौती मिल रही है। राजनीतिक बयानबाजी बिल्कुल अलग-अलग है। एक तरफ, सुशासन, विकास और स्थिरता पर जोर है, जिसमें बुनियादी ढांचे और कानून व्यवस्था में पिछली उपलब्धियों को उजागर किया जा रहा है। दूसरी तरफ, बेरोजगारी, महंगाई और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें युवाओं के लिए बदलाव और अवसरों के एक नए युग का वादा किया गया है। ​प्रमुख मुद्दे ​बिहार के मतदाता सिर्फ उम्मीदवारों के चेहरों को नहीं देख रहे हैं; वे उन मुद्दों से चिं...